कंपनियों के शोषण ने आखिरकार इस प्रदेश के कंप्यूटर शिक्षकों से उनके मतदान का अधिकार भी छीन लिया। सरकार के झूठे वायदों और कंपनियों के शोषण से परेशान होकर प्रदेश के अधिकांश कंप्यूटर शिक्षकों ने लोकसभा चुनावों में मतदान ही नहीं किया।
शोषण से परेशान हो चुके कंप्यूटर शिक्षकों ने पहले ही निर्णय ले लिया था कि अगर उनकी गुहार नहीं सुनी गई तो वे मतदान का पूर्णत बहिष्कार करेंगे। 5 अप्रैल को कंप्यूटर शिक्षकों की एक बैठक करनाल के कर्ण पार्क में हुई थी। बैठक में एसोसिएशन सदस्यों ने साफ तौर पर कह दिया था कि निजी कंपनियों ने उनका वेतन रोक रखा है।
इतना ही नहीं यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो चुकी है कि कंप्यूटर शिक्षकों से अवैध सिक्योरिटी ली गई इसके बावजूद भी कंपनी अब भी शिक्षकों को सिक्योरिटी के लिए परेशान कर रही है। कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति लिखित परीक्षा के आधार पर हुई थी। हरियाणा सरकार के सर्विस रूल 2012 के अनुसार पीजीटी कंप्यूटर साइंस अध्यापक की योग्यता को वे लोग पूरा भी करते हैं लेकिन इन सबके बावजूद भी उनका शोषण किया जा रहा है।
शिक्षकों ने साफ कर दिया था कि अगर उन्हें शिक्षा विभाग के अधीन नहीं किया जाता और अवैध सिक्योरिटी लेने वाली कंपनी पर कार्रवाई करके उन्हें वेतन नहीं दिलाया जाता तो वे लोग मतदान का पूर्ण रूप से बहिष्कार करेंगे। अपने विरोध को जाहिर करते हुए कंप्यूटर वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़े कंप्यूटर शिक्षकों ने मतदान तक नहीं किया।
हमारे पास कोई दूसरा चारा नहीं था : धीमान
कंप्यूटर वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान बलराम धीमान का कहना है कि वे अपनी गुहार और शोषण के बारे में शिक्षा मंत्री तक को अवगत करा चुके हैं लेकिन उनकी आजतक एक नहीं सुनी गई। उन्हें निजी कंपनियों का गुलाम बना दिया गया है। चुनावों का बहिष्कार इसलिए किया क्योंकि उनके पास और कोई चारा नहीं था।
तनख्वाह तक के लिए तरस गए कंप्यूटर शिक्षक
प्रदेशभर में 2622 कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति निजी कंपनियों के तहत की गई थी। कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए इन कंपनियों ने अवैध तरीके से 8 से 24 हजार रुपए तक की उगाही की। इस अवैध सिक्योरिटी लेने का खुलासा एक आरटीआई के माध्यम से हुआ जिसमें शिक्षा विभाग ने कहा कि निजी कंपनियों को सिक्योरिटी लेने का अधिकार ही नहीं है। कंप्यूटर शिक्षकों को 6 माह तक वेतन ही नहीं मिला। इसके खिलाफ उन्होंने पंचकुला में धरना प्रदर्शन किया जिसके बाद उन्हें 2 माह का वेतन जारी किया गया। बाद में कंपनी ने बकाया चार माह का वेतन देने के लिए कंप्यूटर शिक्षकों से बची हुई सिक्योरिटी राशि लेने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। कंपनी ने उन्हीं शिक्षकों को बकाया चार माह का वेतन दिया है जिन्होंने उसकी अवैध सिक्योरिटी 24 हजार रुपए चुकाई है। बाकी शिक्षक अब भी वेतन को तरस रहे हैं। dbrwd
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