नई दिल्ली : देश की शिक्षा नीति तय करने वाली सर्वोच्च संस्था केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (कैब) द्वारा गठित समिति ने आठवीं कक्षा तक बिना परीक्षा अगली कक्षा में प्रोन्नति देने की नीति (नो डिटेंशन) की समीक्षा करने की सिफारिश की है। शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत लागू इस नीति की आलोचनाओं को देखते हुए कैब ने समिति गठित की थी।
नो डिटेंशन शिक्षा नीति को छात्रों के संपूर्ण विकास को ध्यान में रखते हुए आरटीई के अनवरत एवं व्यापक मूल्यांकन (सीसीई) के तहत लागू किया गया है। इसके तहत छात्रों को बगैर परीक्षा के अगली कक्षा में प्रोन्नत करने का प्रावधान है। आलोचनाओं के बाद इस नीति की समीक्षा के लिए कैब ने हरियाणा की तत्कालीन शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल की अध्यक्षता में उप-समिति गठित की थी। कमेटी के समक्ष बीस से ज्यादा राज्यों ने इसके विरोध में राय रखी। कर्नाटक समेत कुछ अन्य राज्यों ने तो अगले सत्र से परीक्षा नीति को फिर से लागू करने की घोषणा भी कर चुका है। यदि सिफारिशों को अमल में लाया जाता है तो नो डिटेंशन नीति इसी सत्र से समाप्त हो जाएगी। एक रिपोर्ट के मुताबिक कक्षा तीन के 60 फीसद छात्र पहली कक्षा की किताबें भी नहीं पढ़ पाते हैं।संसद की शीतकालीन सत्र के बाद कैब की होने वाली बैठक में इसपर अंतिम फैसला लिया जा सकता है।
मानव संसाधन मंत्रलय के अधिकारियों ने बताया कि समिति ने मौजूदा प्रणाली की समीक्षा की सिफारिश की है। मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा लोकसभा को इससे अवगत करा चुके हैं। छात्र हाल ही में एक सम्मेलन में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के समक्ष भी इस मुद्दे को उठाया था। dj
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