कलायत : एक तरफ तो देश के प्रधानमंत्री देश के युवाओं के हाथ में सांपों की जगह माउस दे हाथों में हुनर देने की बात कर रहे हैं, दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में ठप कंम्प्यूटर शिक्षा मोदी मंशा को सरेआम ठेंगा दिखा रही है।
स्कूलों में कंम्प्यूटर शिक्षा के लिए करोड़ों रुपए की लागत से बनाई प्रणाली बिना संभाल के दम तोड़ रही है। हम बात कर रहे है कलायत के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की जिसमें करीब 600 बच्चों को कंम्प्यूटर का ज्ञान देने के लिए बहुत बढिय़ा लैब तैयार की गई थी, पर संभाल के अभाव में लाखों रुपए की लागत से बनी लैब नकारा पड़ी हुई है। प्रेक्टिकल के लिए बच्चों ने शायद ही कभी कंम्प्यूटर का माउस पकड़ा हो उन्हें तो वर्षों से केवल थ्यूरी से ही काम चलाना पड़ रहा है।
कंम्प्यूटर शिक्षा देने के लिए लैब में तैनात अनिल मोर ने बताया कि लैब में कुल 14 कंम्प्यूटर हैं, जिनमें से अधिकांश वर्षों से खराब ही हैं। उनका कहना है कि मेंटेनेंस के नाम पर केवल थोड़ी सी राशि ही खर्च होनी है। वह भी मिलने से सिस्टम बेकार हुए पड़े हैं।
उन्होंने कहा कि वे यहां करीब दो साल से नियुक्ति पर हैं तथा तभी से ही छात्रों को कंम्प्यूटर का ज्ञान देने के लिए कोई पुस्तक तक उपलब्ध नही करवाई गई। वे केवल अपने स्तर पर पठन सामग्री का प्रबंध करके छात्रों को केवल थ्यूरी ही करवा रहे हैं। सुविधाओं के बारे में उन्होंने कहा कि आईसीटी कंपनी द्वारा चलाए जा रहे प्रोजेक्ट के तहत लैब के सभी संसाधन उपलब्ध करवाए गए हैं पर उनकी मेंटेनेंस के लिए राशि दिए जाने के कारण लाखों रुपए के उपकरण केवल शोपीस बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि कंपनी द्वारा कुछ माह पूर्व लैब में 14 बैटरी भिजवाई पर बार बार सूचित करने के उपरांत भी उनकी सैटिंग आज तक नही हो पाई है। शिक्षक मोर का कहना था कि उनकी इच्छा है कि स्कूल में पढऩे वाले हर छात्र को वे कंम्प्यूटर के हुनर में पारंगत कर दें पर खराब व्यवस्था पूरी तरह से आड़े रही है। db
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