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Saturday, 13 December 2014

लीव-एनकैशमेंट व एलटीसी में कटौती संभव

** मंत्रिमंडल की बैठक में लाए जा सकते हैं प्रस्ताव
चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार खर्चो में कमी करने के उद्देश्य से कर्मचारियों के लीव-एनकैशमेंट में कटौती कर सकती है। इसके साथ ही यात्र एवं अवकाश भत्ता (एलटीसी) भी खत्म करने पर विचार चल रहा है। ऑल हरियाणा पावर कारपोरेशन वर्कर यूनियन ने राज्य सरकार के ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध करते हुए ठेकाकरण की नीतियों की समीक्षा की मांग की है। कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चौधरी ने राज्य सरकार पर कर्मचारियों के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। 
प्रदेश के कर्मचारियों की लीव-इनकैशमेंट में कटौती तथा एलटीसी खत्म करने संबंधी प्रस्ताव मंत्रिमंडल की बैठक में भी लाए जा सकते हैं। राज्य सरकार कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 साल से घटाकर पहले ही 58 साल कर चुकी है। अभी तक रिटायर हो चुके कर्मचारियों को उनके लाभ भी नहीं मिल पाए हैं। हालांकि लेखा विभाग ने इस संबंध में राज्य सरकार से तमाम दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहा है। दूसरी तरफ ऑल हरियाणा पावर कारपोरेशन वर्कर यूनियन के प्रतिनिधिमंडल ने बिजली निगमों के चेयरमैन व अतिरिक्त मुख्य सचिव राजन गुप्ता से मुलाकात कर आउटसोर्सिग और ठेकाकरण की नीतियों की समीक्षा करने का अनुरोध किया है। 
यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में मिले इस प्रतिनिधिमंडल में महासचिव सुभाष लांबा, उप महासचिव रमेशचंद, उपप्रधान सुरेश राठी, आजाद सिंह पूनिया, सुभाष कौशिक, एनपी सिंह व मोहित काजल ने ठेका प्रथा के तहत करवाए जा रहे कार्यो की उच्च स्तरीय जांच कराने की भी मांग की है। यूनियन के प्रधान देवेंद्र हुड्डा व महासचिव सुभाष लांबा ने कहा कि निगम प्रबंधकों ने निगमों को प्रयोगशाला बना दिया है। पार्ट टाइम कर्मचारियांे को नियमित करने, जेई व लेखाकार का ग्रेड-पे 4200 करने व प्रमोशन कोटे के खाली पड़े पदांे पर प्रमोशन किए जाने की भी उन्होंने मांग की है। दुर्घटनाआंे में हो रही बढ़ोतरी को रोकने के लिए तुरंत प्रभाव से ठोस कदम उठाने का अनुरोध किया गया। प्रतिनिधिमंडल ने निगम के प्रबंध निदेशकों से भी मुलाकात की।किसानों की पीठ में छुरा घोंप रही भाजपा 
कांग्रेस विधायक दल की नेता एवं पूर्व मंत्री किरण चौधरी ने भाजपा सरकार पर कर्मचारियों से चुनाव से पहले किए वादे पूरे नहीं करने तथा कृषि पर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं करने की कड़ी आलोचना की है। किरण ने कहा कि प्रदेश सरकार के ये फैसले कर्मचारियों की पीठ में छुरा घोंपने की तरह हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव से पहले यूपीए सरकार पर स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने के लिए लगातार दबाव डाल रही थी। खासकर एमएसपी के लिए जो किसानों की उत्पादन की कीमत से 50 फीसद से भी ज्यादा है। भाजपा के चुनावी घोषणापत्र में इसे लागू करने का वादा किया गया था।                                          dj



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