गाज : अतिथि अद्यापकों को 9 फ़रवरी को तुरंत प्रभाव से हटाने के दिए थे आदेश
हिसार : शिक्षा विभाग के फैसले से प्रदेश के 325 अतिथि अध्यापकों के परिवारों का निवाला छिन गया है। यदि इस दिशा में सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो पहले से अध्यापकों की कमी ङोल रहे स्कूलों में स्थिति और भी बिगड़ सकती है।
अतिथि अध्यापकों की चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी किसी भी स्तर पर हुई हो मगर फैसले का सीधा प्रभाव 325 अतिथि अध्यापकों के परिवारों पर पड़ेगा। इससे पहले 7 जनवरी को 193 अध्यापकों को हटाया गया था।
ये अध्यापक करीब 9 सालों से अध्यापन के सहारे अपना व अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे। शिक्षक अब ऐसी स्थिति में नहीं हैं कि और कोई रोजगार चला सके।
आयु सीमा निकल गई
सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने में ज्यादातर अतिथि अध्यापकों की आयु सीमा निकल चुकी हैं। उनके परिवारों का रहन सहन भी इसी परिदृश्य के अनुरूप ढल गया है। वैसे भी इन अध्यापकों की चयन प्रक्रिया में किसी भी खामी के लिए ये अध्यापक जिम्मेदार न होकर महज भुगत भोगी होंगे।
अधिकारी जिम्मेवार हैं
अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति के समय कागजात की पुष्टि करना आला अधिकारियों का फर्ज था, जो उन्होंने उस समय बखूबी नही निभाया था। उनकी इसी गलती का खामियाजा उनका परिवार सारी उम्र भुगतेगा।
यह है मामला
गौरतलब है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने नियुक्ति में विभागीय नियमों का उल्लंघन करने के दोषी कुल 518 अतिथि अध्यापकों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। जिलों में तैनात अफसरों को यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू करने की हिदायत दी है। सरकारी स्कूलों में 21 दिसंबर 2005 से 16 नवंबर 2007 तक अतिथि अध्यापकों की नियुक्तियां चलती रहीं।
कोर्ट का लेंगे सहारा
संघ के प्रवक्ता अजय लोहान ने बताया कि सभी गेस्ट टीचर को पूरा विश्वास है कि प्रदेश सरकार इन गेस्ट टीचर को हटने नहीं देगी। अगर सरकार ने इनको बहाल नहीं किया तो हम कोर्ट का सहारा लेंगे क्योंकि हमारे ज्यादातर साथियों को सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन न होने की बात कहकर हटाया गया है जबकि सभी साथी अपनी योग्यता पूरी किए हुए हैं। dj
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