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Monday, 16 December 2013

ज्वाइनिंग से पहले ही बर्खास्तगी का खतरा

** एक अप्रैल 2015 तक बीएड नहीं की तो बर्खास्त हो जाएंगे नव नियुक्त प्राध्यापक
सोनीपत : गोहाना के संदीप कुमार बड़े खुश हैं कि प्राध्यापक वर्ग भर्ती पर लगी रोक हट गई है। भविष्य के सुनहरे सपने संजोते हुए ज्वाइन करने के लिए वे सेक्टर-14 स्थित डीईओ कार्यालय में पहुंचे, यहां ज्वाइनिंग लेटर और उपस्थिति पर हस्ताक्षर करने से पूर्व ही उन्हें जोरदार झटका लग गया। उन्हें बताया गया कि एक अप्रैल 2015 तक अगर उन्होंने बीएड नहीं की तो उनकी ज्वाइनिंग को अयोग्य करार दिया जाएगा। वे नौकरी से बर्खास्त हो जाएंगे। 
लगभग असंभव सा अल्टीमेटम देखने के बाद तो उनके होश उड़ गए और खुशी तो कहीं काफूर ही हो गई। उन्होंने प्रदेश सरकार के इस नियम को गलत बताते हुए इसके खिलाफ कोर्ट में जाने की बात कही है। हालांकि उन्होंने कहा कि इससे पूर्व प्रदेश सरकार के मुखिया भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मिलकर इस नियम को बदलने की अपील की जाएगी, अगर अपील से बात नहीं बनती है तभी कोर्ट के विकल्प को अपनाया जाएगा। यहां बता दें कि प्रदेश सरकार के इस फैसले से प्रभावित होने वाले वे अकेले युवा नहीं हैं बल्कि करीब दो हजार ऐसे युवा हैं जिनके सामने एक साल में बीएड करने की चुनौती है। यह किसी भी सूरत हाल में संभव नहीं है। बकौल संदीप पूर्व में ऐसा कोई नियम नहीं था। छह जून 2012 को सरकार ने जो विज्ञापन निकाला उसमें स्पष्ट था कि 11 अप्रैल 2012 से पहले जिस उम्मीदवार ने एचटेट अथवा स्टेट क्लियर किया हुआ है, वे पीजीटी के लिए योग्य माने जाएंगे। 
इसी को देखते हुए उन्होंने भर्ती के लिए आवेदन किया था। उसने यह भी बताया कि मेवात में हाल ही में हुई भर्ती में भी ऐसे नियम की पालना नहीं हुई। 
अगले महीने नियमों में आ गई सख्ती 
प्रदेश सरकार ने तीन जुलाई 2012 को अपने नियमों में सुधार करते हुए कहा कि जो व्यक्ति ने 11 अप्रैल 2012 से पहले स्टेट या एचटेट क्लियर किया हुआ है, उसे पीजीटी की पहली भर्ती में योग्य करार दिया जाएगा। हालांकि इसी पत्र में 1998 के सर्विस रूल का हवाला देते हुए यह भी कह दिया कि जिस व्यक्ति ने एक अप्रैल 2015 तक बीएड नहीं की तो बिना कोई नोटिस दिए उनकी सेवाओं को बर्खास्त कर दिया जाएगा। 
ऐसा कैसे होगा संभव 
2012 के सर्विस रूल को अपनाते हुए जिन युवाओं को प्राध्यापकों के रूप में ज्वाइनिंग मिली है अब वे नौकरी पाकर भी टेंशन में हैं, क्योंकि एक साल में बीएड करने की चुनौती उनके सामने हैं। चुनौती इसलिए भी गंभीर है क्योंकि उन्हें इसके लिए एक ही साल मिला है। पहली परेशानी तो यही है कि एक साल में पूरी कैसे होगी। क्योंकि रेगुलर नौकरी करते समय यह हो नहीं सकती तथा पत्राचार में यह दो साल की होती है। 
वह भी तब जब दो साल का अनुभव हो। चुनौती यहीं खत्म नहीं होती। प्रदेश में बीएड कराने वाले विवि में सीटें बेहद सीमित है जबकि इस नियम से प्रभावित होने वाले है हजारों।                         db






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