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Monday, 14 April 2014

फ्री एजुकेशन के तहत प्राइवेट स्कूलों में पढऩे के लिए बेताब 3000 बच्चे

** लेटलतीफी : 12 दिन बाद भी नहीं जारी की सूची, 31 मार्च का था समय 
प्राइवेट विद्यालयों में पढऩे का गरीब परिवारों के बच्चों का सपना अधिकारियों की लापरवाही के चलते साकार नहीं हो पा रहा है। सरकारी आदेश पर इस बार फ्री एजुकेशन के पात्र बच्चों का एडमिशन करने के लिए 20 मार्च तक फार्म विभाग की तरफ से निर्धारित सेंटरों पर जमा किए गए थे। 
ऑनलाइन फार्म प्रक्रिया होने के कारण सभी प्राइवेट विद्यालयों को 31 मार्च से पहले तक पात्र बच्चों की सूची जारी करनी थी और उनके एडमिशन व ड्रा बच्चों की पुन: सूची जारी करनी थी। विद्यालयों ने एडमिशन तो दूर सत्र शुरू हुए 12 दिन हो गए हंै, पर अभी तक प्रबंधन ने लिस्ट नहीं जारी की है। वहीं प्राइवेट विद्यालय में प्रवेश के लिए बेताब जिले के 3000 से अधिक बच्चे व उनके परिजन विद्यालय के गेट पर जाकर प्रतिदिन सूची देख रहे हैं, लेकिन उनके हाथों निराशा ही लग रही है। अभिभावकों के पूछने पर विद्यालय प्रशासन की तरफ से अच्छा व्यवहार भी नहीं किया जा रहा है। विभाग ने इस बार 1700 से अधिक बच्चों के फार्म ऑनलाइन भरवाए हंै। 
डायरेक्टर को करना है आदेश 
"निजी विद्यालयों में बच्चों के एडमिशन न होने का मामला उच्च अधिकारियों व एसोसिएशन के मध्य चल रहा है। उम्मीद है इसी सप्ताह मुख्यालय से कोई नया आदेश आ जाएगा। इसके बाद ही एडमिशन की प्रक्रिया शुरू होगी। तब अगर कोई विद्यालय गरीब बच्चों का एडमिशन नहीं करता है, तो फिर कारवाई की जाएगी। विभाग की तरफ से लगभग 1700 फार्म ऑनलाइन अप्लाई किए गए हैं, अभिभावकों ने भी शिक्षा विभाग की साइट पर अप्लाई किया है।"--सत्यवती नांदल, जिला शिक्षा अधिकारी, रोहतक 
हाईकोर्ट में दायर करेंगे याचिका 
"नए सत्र में बच्चों का प्रवेश प्राइवेट विद्यालय वाले नहीं कर रहे हैं। इसको लेकर डायरेक्टर व शिक्षामंत्री से मिलकर बात की गई है। सभी ने जल्द से जल्द इसको लागू कराने का आश्वासन दिया है। अगर जल्द ही इसको लागू नहीं किया जाता है, तो फिर हाईकोर्ट में याचिका दायर की जाएगी।"--सत्यवीर हुड्डा, अध्यक्ष , 2+5 मुद्दे जन आंदोलन समिति। 
एडमिशन का इंतजार करने वाले मामले 
केस नंबर-1 सलारा मोहल्ला के तमन्ना व सुमित कक्षा-6 में प्रवेश के लिए निजी विद्यालय में आवेदन किया था। लेकिन अभी तक विद्यालय ने फ्री एजुकेशन के तहत प्रवेश पाने वाले बच्चों की सूची ही नहीं जारी की है। 
केस नंबर-2 पाड़ा मोहल्ला निवासी सुमित व स्नेहा ने भी निजी विद्यालय में प्रवेश पाने के लिए अप्लाई किया है, लेकिन अभी तक विद्यालय ने सूची नहीं जारी की है। अब सभी भविष्य को लेकर परेशान हैं, क्योंकि अभी तक बच्चों ने कहीं पर एडमिशन नहीं लिया है। 
निगरानी रखने के लिए बनाई कमेटी 
प्राइवेट विद्यालयों की मनमानी पर काबू पाने के लिए इस बार प्राइमरी एजुकेशन के डायरेक्टर ने जिले में ब्लाक व जिला स्तर पर कमेटी गठित करने के लिए कहा था। ब्लाक स्तर की समिति में दोनों बीईओ, २ अभिभावक व एक स्कूल की तरफ से प्रबंधक या शिक्षक सदस्य हंै। जिला स्तर की कमेटी में जिला शिक्षा अधिकारी, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, मुख्य सचिव से नियुक्त दो सदस्य, एक अभिभावक व एक स्कूल की तरफ से प्रबधंक या शिक्षक सदस्य हंै। अधिकारियों ने निगरानी के लिए कमेटी तो गठित कर दी है, लेकिन अभी तक एक भी बैठक न तो जिला स्तर पर और न ही ब्लाक स्तर पर हुई है। समिति के सदस्यों का कहना है कि अभी तक पंचकूला स्थित शिक्षा मुख्यालय से बैठक करने के लिए कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।
स नियम के तहत होने है एडमिशन 
राइट टू एजुकेशन एक्ट को ज्यादा प्रभावाी बनाने के लिए सरकार ने नियम 134 ए लागू किया था। इस नियम के मुताबिक प्रत्येक निजी स्कूल में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों का प्रवेश करना अनिवार्य किया गया है। विद्यालयों में उन परिवारों के बच्चों को प्रवेश मिल सकता है जिनकी वार्षिक आय 2 लाख से कम है और बीपीएल कार्डधारक के बच्चे एडमिशन पा सकते हैं।                                             dbrtk

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