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Thursday, 17 April 2014

निरीक्षण नहीं करने वाले शिक्षा अधिकारियों की लगेगी क्लास

** साल में केवल 29 फीसदी स्कूलों में ही निरीक्षण के लिए पहुंचे अधिकारी
** औचक निरीक्षण नहीं कर पाने वाले शिक्षा अधिकारियों से मांगा निदेशालय ने स्पष्टीकरण 
भिवानी : हरियाणा मौलिक शिक्षा निदेशालय ने इस साल केवल 29 फीसदी सरकारी स्कूलों का औचक निरीक्षण किए जाने के मामले को गंभीरता से लिया है। सभी जिला मौलिक शिक्षा व खंड मौलिक शिक्षा अधिकारियों को सप्ताह भर में कम से कम पांच विद्यालयों का निरीक्षण करने का लक्ष्य है। अधिकांश शिक्षा अधिकारी इस टारगेट को छू भी नहीं पाए। 
औचक निरीक्षण के दौरान अधिकारी द्वारा सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का बच्चों तक लाभ पहुंचने, विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित करने, टीचरों की उपस्थिति की जांच करने के अलावा मूलभूत सुविधाओं के बारे में जायजा लेना होता है। औचक निरीक्षण में जो भी खामियां उन्हें मिलती है, उनका विवरण निर्धारित प्रपत्र पर शिक्षा निदेशालय को हर माह भेजा जाता है। 
महानिदेशक के आदेश पत्र क्रमांक 1/48-2013 एमडीएम (1) दिनांक 15 अप्रैल 2014 के अनुसार अधिकारी औचक निरीक्षण नहीं करने के बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करे। महानिदेशक ने यह भी स्पष्ट किया है कि भविष्य में इस तरह की कोताही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाया जाएगा। इसे विडंबना कहे या फिर व्यवस्था की मजबूरी। खंड शिक्षा अधिकारियों व खंड मौलिक शिक्षा अधिकारियों के अलावा उप जिला शिक्षा अधिकारियों के पास कोई भी सरकारी गाड़ी नहीं है। 
जिला शिक्षा अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को छोड़कर बाकी सभी शिक्षा अधिकारी आज भी अधिकारिक रूप से पैदल है। करीब पांच साल पहले खंड स्तर पर शिक्षा अधिकारियों को ठेका पर वाहन सुविधा मुहैया करवाई गई थी। यह व्यवस्था भी एक साल के बाद ठप हो गई।                                db

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