** स्कूलों के सिस्टम व संसाधनों को बेहतर बनाने का प्रयास
नई दिल्ली : राजधानी के सरकारी स्कूलों के छात्रों की जिम्मेदारी बढ़ने जा रही है। अब वह न केवल कक्षाओं को संभालते नजर आएंगेे, बल्कि अपनी कक्षा और स्कूल के लिए पॉलिसी मेकर भी बनेंगे। दरअसल, शिक्षा निदेशालय ने तय किया है कि अब स्कूल प्रमुख (प्रिंसिपल) हर माह मॉनिटर से मुलाकात करेंगे। प्रिंसिपल को वह कक्षा और स्कूलों के लिए अपने विचार और सुझाव भी देंगे। इसके अलावा मॉनिटर से कक्षाओं और स्कूलों के बारे में भी जानकारी ली जाएगी। माना जा रहा है कि शिक्षकों की गैरहाजिरी पर लगाम लगाने और पढ़ाई के माहौल को बनाए रखने के लिए शिक्षा निदेशालय ने यह कदम उठाया है।
सरकारी स्कूलों में शिक्षण का स्तर और अन्य गतिविधियों के नियमित संचालन के लिए क्लास में मॉनिटर प्रणाली की व्यवस्था है। अब अतिरिक्त शिक्षा निदेशक (स्कूल) डॉ. सुनीता कौशिक ने सभी स्कूल प्रमुखों को कहा है कि मॉनिटर से नियमित बैठक की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा है कि माह में एक बार स्कूल प्रमुखों को मॉनिटर के विचार और सुझाव जानने के लिए अनिवार्य रूप से मिलना होगा। निदेशालय का मानना है कि इस व्यवस्था से छात्रों में मेलजोल और मॉनिटर के बीच जिम्मेदारी की भावना विकसित होगी। सरकारी स्कूलों में शिक्षक गैरहाजिर रहते हैं, पढ़ाई का माहौल बन नहीं पाता, संसाधनों की पूरी व्यवस्था नहीं होती और सुविधाओं का अभाव होता है। इन समस्याओं के साथ-साथ वह प्रतिदिन स्कूल में आने वाली अन्य समस्याओं की जानकारी देंगे। au
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