ओढां : शिक्षा विभाग द्वारा दसवीं कक्षा के प्रथम समेस्टर के घोषित रिजल्ट ने सरकारी शिक्षा प्रणाली की पोल खोलकर रख दी है। खंड ओढां के अंतर्गत पड़ने वाले स्कूलों पर नजर डाली जाए तो कई ऐसे स्कूल भी हैं जिनमें केवल दो बच्चों से ज्यादा पास नहीं हुए है। राजकीय उच्च विद्यालय जलालआना की सुरत ए हाल ये है कि वहां पढ़ने वाले सभी 19 विद्यार्थियों में से कोई भी विद्यार्थी पास नहीं हुआ है।
अध्यापकों ने बताया कि अभिभावक भी अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते। इसलिए उनके अभिभावक स्कूल में कभी ये पूछने नहीं आते कि उनका पढ़ाई में कैसा है, उनके पास पूरी किताबें या अन्य संसाधन है या नहीं बल्कि हमेशा प्रोत्साहन राशि बारे पूछने ही स्कूल आते हैं कि हमारे बच्चे के पैसे खाते में आए या नहीं।
मलिकपुरा में एक पास गांव ख्योंवाली के राजकीय उच्च विद्यालय में 25 में से केवल एक तथा राजकीय उच्च विद्यालय मलिकपुरा में भी 21 में 1 विद्यार्थी पास हुआ है।
तर्क- राजकीय उच्च विद्यालय मलिकपुरा के मुख्याध्यापक कृष्ण लाल ने बताया कि परीक्षा परिणाम कमजोर आने का कारण सरकारी अध्यापकों पर पढ़ाई से हटकर अनावश्यक कार्य थोपे जाना है। अध्यापकों का अधिकतर समय डाक बनाने, बीएलओ आदि डय़ूटियों में ही निकल जाता है, जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होकर रह गई है।
"स्कूल में स्टाफ की कमी के कारण ही परीक्षा परिणाम कमजोर आया है। अधिकतर विषयों के अध्यापकों के पद स्कूल में रिक्त हैं। फिलहाल दो गेस्ट टीचर विभाग ने स्कूल में भेजे हैं।"-- जसविंद्र सिंह, निर्वतमान सरपंच जलालआना।
"उनके स्कूल में दसवीं कक्षा के प्रथम समेस्टर में कोई भी विद्यार्थी पास नहीं हुआ है, जिसका कारण स्कूल में गेस्ट टीचरों के रिलीव होने के कारण अध्यापकों की कमी होना है। हमारे स्कूल में गणित, साइंस, सामाजिक व इंगलिश विषय के अध्यापक ही नहीं थे। वहीं इसके अलावा चुनावों के रद्द होने के तुरंत बाद परीक्षा की तिथि आने के कारण बच्चों को पूरी तैयारी का मौका नहीं मिला।"-- गुरदीप सिंह, इंजार्च, राजकीय उच्च विद्यालय जलालआना djsrs
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.