** 11वीं-12वीं में पढ़ाए जाने वाले
कंप्यूटर साइंस, इंफार्मेशन प्रैक्टिसेज को एकेडमिक विषय के तौर पर महत्व
देने का
दिया निर्देश
नई दिल्ली : बारहवीं में उपलब्ध कंप्यूटर अध्ययन आधारित विषयों को
अब देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में एकेडमिक विषय के समान महत्व
मिलेगा। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से उपलब्ध तीन
पाठ्यक्रमों में अभी तक केवल कंप्यूटर साइंस को ही ये महत्व मिलता था,
लेकिन अब इसके साथ-साथ इंफार्मेशन प्रैक्टिसेज व मल्टीमीडिया एंड वेब
टेक्नोलॉजी को भी इसी श्रेणी में शामिल किया जाएगा।
विश्वविद्यालय अनुदान
आयोग (यूजीसी) ने इस संबंध में सभी विश्वविद्यालयों पत्र लिखकर कहा है कि
वो अपने यहां होने वाले स्नातक पाठ्यक्रमों के दाखिले में सीबीएसई की ओर से
ग्यारहवीं-बारहवीं में पढ़ाए जाने वाले कंप्यूटर साइंस, इंफार्मेशन
प्रैक्टिसेज व मल्टीमीडिया एंड वेब टेक्नोलॉजी को एकेडमिक विषय के तौर पर
महत्व दें। यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि इन विषयों में होने वाले मूल्याकंन
का आधार भी वही है जो अन्य एकेडमिक विषयों पर लागू है। यूजीसी का कहना है
कि इन विषयों में भी 70 फीसद महत्व थ्योरी व 30 फीसद महत्व प्रैक्टिकल को
दिया जाए। यहां बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक की दाखिला
प्रक्रिया में कंप्यूटर साइंस को ही एकेडमिक विषय के तौर पर महत्व दिया
जाता है। डीयू में मल्टीमीडिया एंड वेब टेक्नोलॉजी को दाखिले के दौरान नॉन
एकेडमिक विषय के तौर पर महत्व दिया जाता है। विश्वविद्यालय के इस रुख के
कारण बीते साल तक इंफार्मेशन प्रैक्टिसेज व मल्टीमीडिया एंड वेब टेक्नोलॉजी
विषय को पढ़ने वाले विद्यार्थियों को 10 अंकों की कटौती ङोलनी पड़ती थी,
लेकिन अब यूजीसी के इस कदम से ऐसे विद्यार्थियों के लिए न सिर्फ डीयू बल्कि
देश के अन्य विश्वविद्यालयों में भी सत्र 2016-17 के दाखिले के दौरान इन
विषयों को लेकर होने वाली समस्या खत्म हो गई है। dj
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