कुरुक्षेत्र : प्रदेश का सबसे बड़ा और पुराना विश्वविद्यालय। नैक से भी ए
ग्रेड प्राप्त, विद्यार्थियों की संख्या भी सबसे अधिक और न जाने कितने तमगे
हैं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पास, लेकिन अपने कच्चे कर्मचारियों के
साथ दोयम दर्जे का व्यवहार। प्रशासन अन्य खर्चो में चाहे कटौती न करता हो
लेकिन अनुबंधित शिक्षकों और कच्चे कर्मचारियों को वेतन देने में कंजूसी बरत
रहा है। आलम ये है कि कुवि प्रशासन की ओर से अनुबंधित शिक्षकों से लेकर
आउटसोर्सिग के तहत लगे गैर शिक्षक कर्मचारियों को प्रदेश के अन्य
विश्वविद्यालयों में सबसे कम वेतन दे रहा है। वो भी तब जब विवि कार्यकारिणी
परिषद की ओर से शिक्षकों के वेतन को बढ़ाने संबंधी एजेंडे को पिछले वर्ष
पास कर दिया था। प्रशासन की शिक्षकों के प्रति अनदेखी और व्यवहार ऐसा है कि
प्रशासन अपने ही परिसर में स्थित सीनियर मॉडल स्कूल में पीजीटी शिक्षकों
को 25 हजार रुपये वेतन दे रहा है और विभागों में लगे एसोसिएट प्रोफेसर को
सिर्फ 21 हजार 600 रुपये।
प्रदेश सरकार से लेकर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय
प्रशासन और अधिकारी सभी यह जानते हैं कि कुवि की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं
है। इसलिए शायद खर्चो में कटौती करनी पड़ रही है, लेकिन यह कटौती
कार्यक्रमों या फिर अधिकारियों के खर्चो में नहीं सिर्फ कच्चे कर्मचारियों
के वेतन में ही की जा रही है। फिर चाहे कुवि की ओर से अंतरराष्ट्रीय गीता
संगोष्ठी करानी हो या फिर मंत्री और मुख्यमंत्री का आतिथ्य सत्कार करना हो,
लाखों रुपये खर्च करना कोई बड़ी बात नहीं है। तलवार सिर्फ चल रही है तो वह
शिक्षकों के वेतन पर
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की ओर से हर वर्ष लगभग
335 शिक्षकों को अनुबंध पर रखा जाता है। प्रशासन की ओर से पिछले कई वर्षो
से इन शिक्षकों को 21 हजार 600 रुपये ही प्रति माह वेतन दिया जाता है।
नियमित कर्मचारियों और शिक्षकों का वेतन तो हर वर्ष बढ़ता है, लेकिन इनका
नहीं बढ़ता। जाने क्या नाराजगी है प्रशासन की इन शिक्षकों के प्रति। वहीं
इस मामले में पूर्व कुलपति डॉ. डीडीएस संधू ने दरियादिली दिखाई थी और
उन्होंने उनके कार्यकाल में हुई कुवि कार्यकारिणी परिषद की बैठक में
शिक्षकों का नए सत्र से वेतन 27 हजार रुपये करने का फैसला भी कर दिया था।
सत्ता बदली तो कुवि प्रशासन भी बदला और कुलपति, कुलसचिव यहां तक कुलपति के
ओएसडी और पूरा कार्यालय स्टाफ ही बदल गया। इसके साथ ही शिक्षकों का वेतन
भी फिर से घटकर 21 हजार 600 रुपये रह गया। अब उनकी न कोई सुनने वाला है और न
ही उनका साथ देने वाला।
‘न्यायालय ने दे रखा है स्टे’
कुवि के कुलसचिव डॉ. प्रवीण कुमार सैनी
का कहना है कि अनुबंधित शिक्षकों का मामला न्यायालय में है। न्यायालय ने
यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए हैं। जब मामला निपट जाएगा तो वेतन बढ़ा
दिया जाएगा। dj
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