करनाल : सरकारी विद्यालयों के 10वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम ने होश फाख्ता किए हैं। कोई दोष शिक्षकों को दे रहा है तो कोई हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड को। इसके साथ ही सरकारी शिक्षा संबंधी नीतियों को भी आरोपित किया जा रहा है। इसी बीच शिक्षकों के रिक्त पद भी अच्छे परिणाम में बाधा बने हुए हैं। इसके ऊपर से गैर शैक्षणिक कार्यो में लगने वाली ड्यूटी भी शैक्षणिक कार्यो को बाधित करती है।
जिले में करीब 2400 स्वीकृत शिक्षकों के पद रिक्त हैं। ऐसे में अंदाजा यह भी लगाया जा सकता है कि शिक्षकों पर अतिरिक्त कार्य का बोझ भी है। इसलिए महज खराब परिणाम के लिए महज शिक्षकों को आरोपित करना भी वाजिब नहीं है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के प्रथम सेमेस्टर का करनाल जिले के सरकारी विद्यालयों का 10वीं कक्षा का परीक्षा परिणाम शर्मसार करने वाला रहा है। सरकारी विद्यालयों का परिणाम 16.53 प्रतिशत रहा है। जबकि निजी विद्यालयों का परिणाम 39.88 प्रतिशत रहा है। करनाल जिले में 88 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, 79 उच्च विद्यालय, 125 माध्यमिक विद्यालय और 509 प्राथमिक पाठशालाएं हैं। इन विद्यालयों में करीब चार हजार 500 शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें से 1705 जेबीटी शिक्षक, 768 सीएंडवी, 762 मास्टर, 195 मिडिल हेड, 53 हेडमास्टर व 62 ¨प्रसिपल कार्यरत है। करनाल जिले में शिक्षकों के कुल स्वीकृत पद 6944 हैं। इसकी तुलना में साढ़े चार हजार शिक्षकों के पद रिक्त हैं।
26 विद्यालयों में नहीं स्थायी ¨प्रसिपल
जिले में 88 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय है। जबकि 62 ¨प्रसिपल ही कार्यरत हैं। इस हिसाब से 26 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बिना स्थायी मुखिया के ही चल रहे हैं। किसी दूसरे विद्यालय के ¨प्रसिपल या उसी स्कूल के किसी प्राध्यापक को डीडी पावर देकर काम चलाया जा रहा है। विद्यालय में स्थायी ¨प्रसिपल नहीं होने से भी अध्यापन कार्य प्रभावित होने की संभावना बनी रहती है।
नहीं दे पा रहे पूरा ध्यान :
शिक्षकों का यह आरोप रहता है कि वह गैर शैक्षणिक कार्यो की वजह से अध्यापन पर पूरा ध्यान नहीं दे पाते। गैर शैक्षणिक कार्यो में उनकी ड्यूटी गाहे-बगाहे लगा दी जाती है। इस वजह से शिक्षक क्लास रूम में बच्चों के साथ किसी खास पाठ को लेकर टच में नहीं रह सकते। इसलिए शिक्षकों की गैर शैक्षणिक कार्यो में ड्यूटी नहीं लगनी चाहिए। इसके अलावा अति महत्वपूर्ण कार्यो को लेकर ड्यूटी देने के लिए तैयार हैं।
सरकारी नीतियां जिम्मेदार : निर्माण
हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के पूर्व प्रदेश सचिव कृष्ण कुमार निर्माण का कहना है कि लचर परिणाम के लिए सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियां जिम्मेदार हैं। प्रत्येक माह विद्यालय में टेस्ट लेने का कोई औचित्य नहीं है। इससे विद्यार्थी दबाव में रहता है। गैर शैक्षणिक कार्यो में शिक्षकों की ड्यूटी लगने से अध्यापन पर असर पड़ता है। सरकार रिक्त पदों पर भी भर्तियां नहीं कर रही है।
कारगर साबित हो रही सरकारी नीतियां
शिक्षा विभाग के जिला विज्ञान विशेषज्ञ सुशील कुमार का कहना है कि विभाग लगातार शिक्षा का स्तर सुधारने में प्रयासरत है और प्रयास और गंभीरता से आगे बढ़ाए जा रहे हैं। सरकारी नीतियां भी कारगर साबित हो रही हैं। dj
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