हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की दसवीं व
बारहवीं की प्रथम सेमेस्टर परीक्षा के नतीजे एक बार फिर सरकार की
कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने का
राज्य सरकार का दावा कितना खोखला है, इसका अनुमान इसी से लगता है कि पिछले
पांच वर्षो से परीक्षा परिणाम लगातार गिर रहे हैं। इनमें न तो कोई सुधार हो
रहा है, न ही दूर-दूर तक कोई संभावना दिखती है। यह कहना कि बीते दिनों
घोषित नतीजे प्रथम सेमेस्टर के हैं, इसलिए बहुत चिंतित होने की जरूरत नहीं
है, सच्चाई से आंख मूंदना ही होगा। आखिर कैसे कहा जा सकता है कि द्वितीय
सेमेस्टर में स्थिति बदल जाएगी। पिछली सरकार शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश
को नंबर वन बनाने के प्रति लगातार संकल्प जताती रही। उसने प्रयास भी किए।
तमाम नीति बदलीं। कई बड़े फैसले लिये, लेकिन नतीजा कोई सुखद नहीं रहा।
सरकारी शिक्षण संस्थान जरूरी संसाधनों और योग्य शिक्षकों लिए तरसते रहे।
निजी क्षेत्र से प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में आना तो बहुत दूर की बात
थी, उन्हें अपना अस्तित्व बचाये रखना मुश्किल हो गया। शिक्षक और गैर शिक्षक
कर्मचारियों के धरना-प्रदर्शन, अफसरशाही के अड़ियल और प्रतिगामी रवैये ने
शिक्षा व्यवस्था का बंटाधार कर दिया। राज्य में दूसरे क्षेत्रों की तरह
शिक्षा भी अतार्किक प्रयोगवाद का शिकार हुई है। शायद यही कारण है कि राज्य
का शैक्षणिक परिदृश्य निराश करने वाला है। यह स्थिति तब है जब इसकी बहुत ही
जरूरत है। राष्ट्रीय राजधानी से सटे होने और राज्य का एक बहुत बड़ा हिस्सा
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में होने के कारण यहां के युवाओं के लिए रोजगार
के अवसर बढ़ रहे हैं। प्रदेश में भी बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरियों के
लिए विज्ञापन निकाले जा रहे हैं। मौजूदा सरकार भी बार-बार रोजगार के अवसर
बढ़ाने का दावा कर रही है। मगर, यह सब तभी काम आएगा जब हमारे युवा इसके लिए
तैयार होंगे। मौजूदा स्थिति देखकर इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती। प्रथम
सेमेस्टर के नतीजे कई मायने में चिंता बढ़ाने वाले हैं। शहरी छात्रों के
मुकाबले ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी बहुत पीछे चल रहे हैं। हालांकि
छात्रओं को पास प्रतिशत बढ़ना अच्छी बात है, लेकिन इससे खुश नहीं हुआ जा
सकता। गणित और अंग्रेजी विषयों में विद्यार्थियों का प्रदर्शन देखकर तनिक
भी नहीं लगता कि राज्य के युवा भविष्य को लेकर तैयार हैं। इसलिए जरूरी है
कि सरकार समस्या को समग्र रूप से देखे और उसके लिए कारगर कदम उठाए। djedtrl
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