रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल से राजकोषीय स्थिति को मजबूत करने का गणित गड़बड़ नहीं होगा क्योंकि इस पर अतिरिक्त खर्च होगा उसे अतिरिक्त राजस्व से या खर्चों में कटौती से पूरा कर लिया जायेगा।
वर्ष 2015-16 की आज जारी पांचवीं द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने कहा है कि वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल और इसका वेतन और किराये पर पड़ने वाले असर को आगे की मौद्रिक नीति तय करते समय ध्यान में रखा जाएगा।
समीक्षा वक्तव्य जारी करने के बाद राजन ने कहा, मोटे तौर पर, इससे अतिरिक्त खर्च जरूर होगा, लेकिन माना जा सकता है कि इसे या तो अतिरिक्त राजस्व जुटाकर या फिर दूसरे खर्चों में कटौती कर के पूरा कर लिया जायेगा ताकि राजकोषीय मजबूती की गाड़ी रास्ते पर बनी रहे।
सातवें वेतन आयोग ने केन्द्र सरकार के एक करोड़ कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन भत्तों में 23.6 प्रतिशत की वद्धि की सिफारिश की है जिससे वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान सरकारी खजाने पर 1.02 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोक्ष पड़ने का अनुमान है जो जीडीपी के 0.65 प्रतिशत के बराबर होगा। वेतन आयोग की सिफारिशें यदि सरकार द्वारा स्वीकार कर ली जातीं हैं तो इन्हें एक जनवरी 2016 से अमल में लाया जायेगा।
रिजर्व बैंक ने मौद्रिक समीक्षा में कहा है कि वेतन आयोग की सिफारिशों का प्रत्यक्ष प्रभाव और समग्र मांग पर इसका असर बजट में समुचित सख्ती करके दूर कर लिया जायेगा क्योंकि सरकार को राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर बने रहना है। सरकार ने 2015-16 के बजट में राजकोषीय मजबूती की जो कार्ययोजना जारी की है उसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटा कम कर जीडीपी के 3.9 प्रतिशत पर, 2016-17 में 3.5 प्रतिशत और वर्ष 2017-18 में और घटाकर जीडीपी के 3 प्रतिशत पर लाना है। पिछले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4 प्रतिशत के बराबर था। lh.com03:46:07pm
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.