सोनीपत : हर शिक्षक और स्टाफ कर्मी तय समय पर स्कूल पहुंचे, यह पक्का करने के लिए लगाई गई बायोमीट्रिक मशीनें शिक्षकों के लिए परेशानी का कारण बन गई हैं। विभाग ने स्टाफ को देखते हुए स्कूलों में मशीनें नहीं लगाई, बल्कि हर स्कूल को एक-एक मशीन अलॉट कर दी। ऐसे में सुबह और शाम दोनों ही टाइम में शिक्षकों को लाइन लगाकर अपनी हाजिरी दर्ज करानी पड़ रही है। गुरुजनों को भी बच्चों की तरह लाइन में लगना पड़ता है और तसदीक देनी पड़ रही है कि वे हाजिर हैं।
दरअसल, सरकार ने यह योजना शुरु हो इसलिए की थी कि सबकी हाजिरी समय पर ली जा सके। अब ये मशीन ही देरी का कारण बन रही है। जहां स्कूलों में स्टाफ अधिक है, जहां मशीन में हाजिरी दर्ज कराने के लिए शिक्षकों को आधा घंटे तक लाइन में लगना पड़ता है। ऐसे में एक डर यह भी बना रहता है कि लाइन की वजह से अगर देरी हुई, तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। शिक्षकों ने इस समस्या को हल कराने के लिए स्कूल प्रमुख से अतिरिक्त मशीनों की व्यवस्था करने की बात कही है। सरकारी स्कूलों में स्टाफ की लेटलतीफी को दूर करने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से आधुनिक बायोमैट्रिक मशीनें स्कूलों में भेजी गई हैं। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी परमेश्वरी हुड्डा ने बताया कि ज्यादातर स्कूलों में बायोमैट्रिक मशीनें भेज दी गई है। अब जिन स्कूलों में समस्या आ रही है, तो वहां पर एक्स्ट्रा मशीनें जरूरत के हिसाब से भेज दी जाएंगी।
यह है सिस्टम
जिले के करीब 400 सरकारी स्कूलों में ये मशीनें भेजी जानी हैं। इनमें से ज्यादातर स्कूलों में बायोमीट्रिक मशीनों के जरिये हाजिरी का काम शुरू हो चुका है। सरकारी स्कूलों में जो नयी बायोमीट्रिक मशीनें भेजी गई हैं, वे हर स्टाफ सदस्य के आधार नंबर से लिंक की गई है। हाजिरी मशीन पर पंच लगाते समय आधार के अंतिम 8 डिजीट की भी एंट्री करनी पड़ती है। ऐसे में एक स्टाफ सदस्य को 30 सैकेंड से ज्यादा का समय लग जाता है। जहां पर स्टाफ 50 से अधिक है, वहां पर ज्यादा दिक्कत आ रही है और लंबे समय तक लाइन में खड़े रहना पड़ता है। जिले में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां स्टाफ की संख्या 70 से 100 सदस्यों के बीच है। ऐसे में इन स्कूलों में एक मशीन कारगर नहीं साबित हो पा रही है। dt
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