सिरसा : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में मिड डे मिल के तहत परोसे जाने
वाले खाने की गुणवत्ता पर अब सवाल नहीं उठ सकेगा, क्योंकि मिड डे मिल के
प्रभारियों को अब खाने के नमूने की जांच सरकार से मान्यता प्राप्त
प्रयोगशाला में करवानी होगी। इसको लेकर शिक्षा विभाग के निदेशक द्वारा तमाम
जिलों के मौलिक शिक्षा अधिकारियों को एक पत्र भेजा गया है। पत्र में
निदेशक द्वारा उक्त अधिकारियों के समक्ष चौंकाने वाला खुलासा करते हुए
जानकारी दी गई है कि पिछले तीन सालों में किसी भी स्कूल के मिड-डे मिल
इंचार्ज द्वारा खाने के नमूने की जांच नहीं करवाई गई है। साथ ही पूर्व में
दिए गए निर्देशों को लेकर निदेशक ने उक्त अधिकारियों को रिमाइंडर भेजते हुए
अब मिड डे मिल के राशन की जांच तीन माह की बजाय हर माह करवाने के आदेश दिए
है। इसके साथ ही जांच न करवाने वाले प्रभारियों एवं अधिकारियों पर विभागीय
कार्रवाई का उल्लेख किया है। निदेशक द्वारा हर तीसरे माह उपायुक्त के साथ
मौलिक एवं खंड शिक्षा अधिकारी की बैठक कर मिड डे मिल के खाने को जांचने का
भी आदेश जारी किया गया है। पत्र के मिलते ही मौलिक शिक्षा अधिकारियों ने
इसकी जानकारी मिड डे मिल प्रभारियों एवं स्कूल मुखियाओं को देनी शुरू कर दी
है।
अभिभावकों को करवानी होगी गुणवत्ता की जांच :
पत्र में विभागीय
अधिकारी द्वारा हर माह खाने की गुणवत्ता की जांच विद्यार्थियों के
अभिभावकों को टेस्ट के रूप में करवाकर उसमें सुधार के लिए कदम बढ़ाने के
आदेश दिए गए है। साथ ही इससे पूर्व स्कूल मुखिया को भी रोजाना इसे चेक
करने के बाद ही विद्यार्थियों को देने का उल्लेख किया गया है।
उठान के
वक्त ही गुणवत्ता जांचेंगे इंचार्ज :
मिड डे मिल इंचार्ज एवं अधिकारियों को
भारतीय खाद्य निगम के डिपुओं से खाद्यान्न उठाने से पहले उसकी गुणवत्ता
एवं वजन को भली प्रकार से जांचने के भी निर्देश दिए गए है। साथ ही
अधिकारियों को खुले में रखे खाद्यान्न का उठान न करने और भारतीय खाद्य निगम
के गोदाम से ही उठान करवाने के निर्देश दिए गए हैं।
"निदेशक का पत्र मिल
चुका है। इसको लेकर स्कूल मुखियाओं व मिड डे मिल के इंचार्जो को अलर्ट कर
दिया गया है।"-- सुरेंद्र शर्मा, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी dj
No comments:
Post a Comment
Note: only a member of this blog may post a comment.