नई दिल्ली : स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए राज्य सरकारों और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से आयोजित होने वाली शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अब कॉमन पाठ्यक्रम पर आधारित होगी। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) ने लगातार इन परीक्षाओं के खराब नतीजों को देखते हुए सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया है। इस परीक्षा के आयोजन के लिए गाइडलाइंस भी एक समान होगी।
सीबीएसई की ओर से साल 2016 में सीटीईटी की परीक्षा का आयेाजन 21 फरवरी, और 18 सितंबर को किया जाना है। एनसीटीई की कोशिश है कि इस नए पाठ्यक्रम को फरवरी में होने वाली परीक्षा से ही लागू कर दिया जाए।
एनसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर संतोष कुमार पांडा ने बताया कि सीबीएसई की ओर से आयोजित होने वाली केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) हो या फिर राज्य स्तर पर होने वाली शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी), दोनों ही परीक्षाओं में परीक्षार्थियों का पास प्रतिशत बेहद खराब देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि शिक्षकों की मांग देशभर में बढ़ी है, इसलिए इस परीक्षा के प्रारूप पर पुनर्विचार की जरूरत महसूस की जा रही थी। इससे परीक्षार्थियों का पास प्रतिशत बढ़ेगा।
उन्होंने बताया कि हाल ही में इस बाबत काउंसिल ने बैठक कर चर्चा की ओर निर्णय किया है कि इस परीक्षा के लिए देशभर में एक समान पाठ्यक्रम लागू किया जाए। ये पाठ्यक्रम डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन के पाठ्यक्रम पर आधारित होगा और इसी के अनुसार सीबीएसई और अन्य राज्यों में शिक्षक पात्रता परीक्षा का प्रश्नपत्र तैयार होगा।
प्रो. पांडा के अनुसार, काउंसिल का मानना है कि पांचवी कक्षा (प्राइमरी स्तर) तक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जरूरी पात्रता परीक्षा में 8वीं कक्षा तक के ज्ञान की परख करना ही उचित है। परीक्षा में 10वीं और 12वीं के सवाल करना ठीक नहीं है। इसी तरह 8वीं कक्षा (एलीमेंट्री स्तर) तक के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए होने वाली परीक्षा में आने वाले सवाल अधिकतम 10वीं कक्षा के पाठ्यक्रम तक के होने चाहिए। उन्होंने बताया कि नए कॉमन पाठ्यक्रम में इस बात का खास खयाल रखा जाएगा और जल्द ही इसे सीबीएसई के साथ बैठक कर लागू किया जाएगा। dj
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