** पुरानी बसों में भी लगवाना होगा सिस्टम, आरटीए की टीम करेगी जांच
शिक्षा विभाग ने स्कूलों के लिए अब सड़क सुरक्षा वाहन पॉलिसी में बदलाव कर दिया है। अब स्कूल बसों में जीपीएस सिस्टम भी लगवाना होगा। इसके बगैर किसी भी नई स्कूल बस को परमिट नहीं दिया जाएगा। साथ ही कुछ दिन में योजना बनाकर पुरानी बसों को चेक कर उनमें भी जीपीएस सिस्टम लगवाए जाएंगे। आरटीए विभाग ने पॉलिसी के इस महत्वपूर्ण प्वाइंट के मद्देनजर सभी स्कूलों को पत्र जारी कर दिया है।
स्कूल में बैठकर देख सकेंगे कहां है बस :
स्कूल बसें कहां पर किस स्थिति में हैं इसकी पूरी जानकारी स्कूल में बैठे प्रबंधन के लोगों को रहेगी। वो किसी भी समय अपनी कंप्यूटर स्क्रीन पर बसों की पोजीशन को देख सकेंगे। साथ ही किसी भी तरह की समस्या आने पर जीपीएस के जरिए चालक-परिचालक से बात भी जा सकेगी। इससे छात्रों की सुरक्षा पहले से ज्यादा पुख्ता हो जाएगी।
आठ से 20 हजार रुपए आएगा खर्च :
एक बस में जीपीएस सिस्टम लगवाने का खर्च ८ से 20 हजार रुपए आएगा। अलग-अलग कंपनियों के जीपीएस सिस्टम का रेट अलग-अलग है। खर्चा बहुत ज्यादा न होने के कारण स्कूलों पर इससे कोई खास आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा। हालांकि यह आशंका जरूर जताई जा रही है कि स्कूल-कॉलेज इसका खर्चा भी बस फीस बढ़ा कर छात्रों से ही वसूल कर सकते हैं।
यह है जीपीएस सिस्टम
ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम सेटेलाइट के जरिए संचालित होता है। जीपीएस सिस्टम में एक विशेष चिप लगी होती है। इसके जरिए जीपीएस लगे वाहन की पूरी जानकारी कंट्रोल रूम में लगे पैनल बोर्ड पर आती रहती है। थ्री डी मैप के जरिए रोड पर चलती बस को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है। जरूरत पडऩे पर इस सिस्टम के जरिए वाहन चालक से बात की जा सकती है।
सभी बसों की होगी चेकिंग
नई बसों में जीपीएस सिस्टम लगाने के साथ-साथ इसे पुरानी स्कूल बसों के लिए भी अनिवार्य किया गया है। इसके लिए आरटीए विभाग के द्वारा चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। पुरानी बसों की जांच की जाएगी। जिन बसों में जीपीएस सिस्टम नहीं होगा उनके चालान किए जाएंगे। आरटीए अधिकारियों ने स्कूलों को पत्र जारी कर इस विषय में सूचित कर दिया है। साथ ही यह कहा है कि वे नियमों का पालन करें, ताकि उनकी लापरवाही से बच्चों को स्कूल आने-जाने संबंधी परेशानी का सामना न करना पड़े। चालान कटेंगे या बसें जब्त होंगी तो परेशानी छात्रों के लिए बढ़ जाएगी। dbsnpt
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