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Monday, 7 October 2013

विभाग की दिशाहीनता : बिन परीक्षा ही बच्चों को अगली कक्षा में भेजने का फैसला


वही होने जा रहा है जिसकी आशंका थी। बिन परीक्षा ही बच्चों को अगली कक्षा में भेजने का फैसला शिक्षा विभाग अंतिम विकल्प के रूप में लेने जा रहा है। हर पहलू पर गंभीर विचार होना चाहिए कि शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही, दिशाहीनता और अदूरदर्शिता का खमियाजा बेचारे स्कूली छात्रों को क्यों उठाना पड़ रहा है। उन्हें कई प्रयोगों के लिए अपने को तैयार करना होगा क्योंकि शिक्षा विभाग का दिशाहीन फैसला उल्का की तरह आकर किसी नई समस्या को जन्म दे सकता है। पुस्तकें मिलने में इतना विलंब हो चुका कि भरपाई संभव नहीं। पाठ्यक्रम पूरा न होने के कारण मासिक एवं यूनिट टेस्ट लेने का न कोई औचित्य बनता था, न आधार। सरकारी स्कूलों में पुस्तकों की आपूर्ति आरंभ तो हो चुकी पर इनके हर बच्चे तक पहुंचने और नियमित अध्ययन शुरू होने में अभी निश्चित रूप से और समय लगेगा। व्यावहारिक पहलुओं को देखें तो शिक्षा विभाग के पास शिक्षा सत्र खराब होने से बचाने के लिए अधिक विकल्प बचे भी नहीं। उसे सबसे उचित एवं तात्कालिक उपाय यह सूझ रहा है कि पुराने रिकॉर्ड के आधार पर ही अंक देकर बच्चे को अगली कक्षा में दाखिला दे दिया जाए। विभाग को यह नहीं भूलना चाहिए कि आनन-फानन में किए गए अल्पकालिक उपाय अक्सर दीर्घकालिक नुकसान एवं पीड़ा का कारण बनते हैं। शिक्षा विभाग की नीतियों में स्पष्ट वर्णित है कि बच्चे का शैक्षिक आधार मजबूत करना सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है। अब यदि तदर्थ दृष्टिकोण अपना कर समस्या समाधान का शार्टकट ढूंढ़ने की कोशिश की गई तो पूरे शिक्षा क्षेत्र को इसका नुकसान हो सकता है क्योंकि विद्यार्थियों की संख्या लाखों में है। शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में हरियाणा को अभी लंबा सफर तय करना है। जरा सी लापरवाही सफर पूरा करने का समय बढ़ा सकती है। पाठ्यक्रम पूरा होने में संदेह के कई कारण हैं। स्कूली शिक्षक अभी दसवीं की सेमेस्टर परीक्षा में व्यस्त हैं, इसके बाद बारहवीं की परीक्षा आरंभ होगी। फिर पेपरों की मार्किंग शुरू हो जाएगी। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की पहले ही भारी कमी है। शिक्षक पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए अतिरिक्त तो क्या, सामान्य समय भी कैसे दे पाएंगे? आठवीं तक के बच्चों के सेमेस्टर टेस्ट के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहीं बन पा रहीं। दीर्घकालिक सरोकार ध्यान में रख कर विभाग को अंतिम निर्णय लेना होगा। ऐसी विषम परिस्थितियां फिर पैदा न हों, सरकार व शिक्षा विभाग को यह हर हाल में सुनिश्चित करना होगा।   dj

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