.

.

Breaking News

News Update:

How To Create a Website

Friday, 1 November 2013

राजनीतिक आकाओं का मौखिक आदेश ना मानें नौकरशाह : कोर्ट

** केंद्र और राज्य स्तर पर सिविल सर्विसेज बोर्ड का गठन करें
** तय कार्यकाल मुहैया कराने को तीन माह के भीतर निर्देश जारी हो
** ब्यूरोक्रेट्स को लोकसेवकों के मौखिक आदेशों पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए
** नौकरशाही के कामकाज में गिरावट का मुख्य कारण राजनीतिक हस्तक्षेप
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में गुरुवार को कहा कि नौकरशाहों को लोकसेवकों (राजनीतिक आकाओं) के मौखिक आदेशों पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने नौकरशाहों के आए दिन होने वाले तबादलों की परंपरा को खत्म करने और उन्हें राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने के लिए उनका तय कार्यकाल सुनिश्चित करने का सुझाव भी दिया है। उत्तर प्रदेश की आईएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन और हरियाणा के आईएएस अशोक खेमका को चार्जशीट करने की तैयारी के मद्देनजर यह फैसला अहम माना जा रहा है। अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
नौकरशाही के कामकाज में व्यापक सुधारों का सुझाव देते हुए न्यायाधीश के एस. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि संसद एक कानून बनाए जो नौकरशाहों की नियुक्ति, तबादले व उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का नियमन कर सके। कोर्ट ने केंद्र और राज्य के स्तर पर सिविल सर्विसेज बोर्ड के गठन का निर्देश दिया। राजनीतिक हस्तक्षेप को नौकरशाही में गिरावट की मुख्य वजह बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि नौकरशाहों को राजनीतिक नेताओं के मौखिक आदेशों पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। नेताओं की ओर से दिए गए सभी आदेशों पर कार्रवाई, उनसे मिले लिखित संवाद के आधार पर करनी चाहिए। पीठ ने यह भी कहा है कि एक नौकरशाह को एक तय न्यूनतम कार्यकाल दिए जाने से न केवल पेशेवर अंदाज और प्रभावशीलता को प्रोत्साहन मिलेगा बल्कि अच्छा प्रशासन भी कायम होगा। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेशों समेत केंद्र और सभी राज्य सरकारें नौकरशाहों को तय कार्यकाल उपलब्ध कराने के लिए तीन महीने के भीतर निर्देश जारी करें।
नौकरशाहों को राजनीतिक हस्तक्षेप से दूर रखने के लिए ८३ रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स ने शीर्ष अदालत में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है। इसमें पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रह्मण्यम और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन गोपालस्वामी प्रमुख रूप से हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि फैसला नौकरशाही को आजादी देने और उसके कामकाज में स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में मददगार होगा।       db

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.